Thursday, December 29, 2011

पलायन जिन्दगी से .........?

सुबह अखबार में एक खबर ने दिलों दिमाग को हिला दिया एक लडकी ने सिर्फ इसलिए फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली क्योकि बी.ए की परीक्षा में नम्बर कम आये क्या जीवन इतना सस्ता है ? क्या हो गया आज के युवा वर्ग इतनी छोटी छोटी बातों पर जान दे बैठते है उससे पहले 12 साल के लडके ने सिर्फ इसलिए खुदकुशी कर कर ली क्योंकि उससे एक मुबाइल गुम हो गया शायद अब हमें अपने बच्चों की परवरिश पर लापरवाह न हो कर इन्हें अपने भरोसे पर पालना होगा । आज सहनशक्ति के गुण मां बाप अपने बच्चों में विकसित नही कर पा रहे तभी वह   बिना किसी वजह अपनी जान ले लेते है छोड देते अपने पालने वालों के उपर तौहमते व जिल्लत क्योकि जिस घर में कोई आत्महत्या कर लेता है वह घर समाज में उचित स्थान नही रखता है ।
 जानना होगा उन वजहो को जिनकी वजह से आज के बच्चों में सहनशीलता व जीवन के प्रति जुझारूपन व संघर्ष की भावना पैदा नही हो रही वह पलायन कर है अपनी जिन्दगी से वह भी उस उम्र में जब  जीवन शुरू भी न हुआ हो........?    

Friday, December 9, 2011

जिन्दगी से कितना दूर भागोगे तुम...................!

जिन्दगी से कितना दूर भागोगे 
यह हर नया रूप धरती है 
तुम हो जाते हो अंचभित 
कभी कभी डरते हो
कभी डटते हो
कभी जिद करते हो
चाहोगे जिस दिन जीना 
मौत तुम्हे डरायेगी,रूलायेगी
जिसे दिन चाहोगे तुम 
कहना इसे अब अलविदा
जिन्दगी तुम्हे ललचायेगी
जीने पर कर देगी विवश
न चाहते हुए भी.................।
तोड देगी तुम्हारे हर
उस भ्रम को जो देता 
रहा तुम्हे जिन्दगी 
कब तक झूठ के सहारे 
जीने का बहाना करते रहे तुम!
वो फरेब के सहारे
रचता रहा हर रोज
कहानियां सिर्फ ,जिन्दगी 
जब आईना दिखायेगी
कैसे खुद से नजरे 
मिलायेगी जिन्दगी.....................!

Monday, December 5, 2011

जो नही है साथ...................!

जो नही है साथ ,भारतीय सिनेमा का सदाबहार अभिनेता देवआन्नद जिन्होने बरसों तक आम जनमानस के दिलों पर राज किया । उनकी मृत्यु से सभी को धक्का सा लगा है बालीवुड उदास है पर आम लोगो में भी एक उदासी घिर आयी है । यह जीवन है जो आया है  जायेगा भी बस पहचाना जायेगा तो अपने कर्मो से कोई किसी तरह अपनी क्षमता योग्यता से समाज में अपनी छवि तो बनाता ही है बस उसी के आधार पर जीवनधारा बहती है साथ ही इस जीवनधारा में शामिल होते है लोग हमारे सुख दुख में यही जीवन है। इसी तरह जीवन जीते है देव आन्नद अपनी फिल्मों में किये गये अभिनय के लिए अपनी बनायी फिल्मों के जरिये आज भी हमारें साथ यह कह कि वह नही है हमारे बीच तो उनका अनादर ही होगा क्योकि अपनी कर्मो के लिए जब हम किसी को याद करते है वह उसे अमरता की ओर ले जाते है वह तो कर्मयोगी ही थें अपनी अदाओ से  अभिनय से और सबसे अलग अन्दाज से जनमानस के दिलों में गहरी जगह बनायी थी ।
                एक उदासी सी है वातावरण में यह कब तक जायेगी नही पता  ........................ 

Thursday, November 17, 2011

बेरहम है जिन्दगी.....!

बेरहम है जिन्दगी तू 
हरदम नया रंग दिखाती है 
तोड देती है है सपनों को
फिर नया ख्वाब दिखाती है।
बेदहम है जिन्दगी तू
मौत का समान बेचती है 
आज कहू तूझे जिन्दगी


पल में मौत बन खडी हो जाती है
कही दूर कोई किल्कारी सूनाई
पडती कानों में लगता अभी नही 


विराम फिर राह पर चल पडती जिन्दगी
वक्त काटना भी मानों हो एक सजा
पर वक्त को भी कभी कभी 
झुका देती है जिन्दगी ।

Monday, October 24, 2011

HAPPY DEEPAWALI

धनतेरस एवं दीवाली हार्दिक शुभकामनाएं........

Wednesday, October 12, 2011

करवाचौथ व्रत, संजीवनी वैवाहिक रिश्तें की

हमारे देश में कितने त्यौहार है गिनती नही की जा सकती शायद हर मौसम के हर रिश्तें के अलग अलग त्यौहार है सचमुच रिश्तों को भी त्यौहारों में लपेट कर संस्कारों से बांध हर रिश्तें को मजबूत बनाने का प्रयास किया गया है धार्मिक दृष्टि कोण को न देख कर यदि हिन्दुओ में वैवाहिक रिश्तें को अटूट बनाता हुआ आ रहा है करवाचौथ का त्यौहार। मीडिया की दखअंदाजी ने इसे नये आयाम दे दिये है ।
करवाचौथ का त्यौहार वास्तव में पति पत्नी के रिश्तें को संजीवनी प्रदान करता है जो रिशता जिम्मेदारियों के बोझ तले उन्हे खुद के बारे में सोचने का समय तो देता व देता उन पुरानी यादों को उम्र के साथ धुंधली पडती जाती है । सुहागने दिन भर निर्जल व्रत रख इस अपने सुहाग के लिए लम्बी उम्र की दुआए मागती है जिनका विवाह नही हुआ वह अपने लिए वर की कामना रखती है ।
यहां मेरा मकसद इस त्यौहार व व्रत का बखान करना या उसके धार्मिक व समाजिकता का वर्णन करना नही है क्योकि यह सभी जानते है व परम्पराओ का पालन भी करते है किन्तु जिस तरह विवाह संस्था में आज के समय में बदलाव आये है वहां इस तरह के धार्मिक आयोजनों महत्व और भी बढ जाता है व रिश्तों में पहले से अधिक प्रगाढता आ जाती है क्या अन्य संबधो जैसे लिवइनरिलेशन मे इस तरह के संस्कार संभव  है जिसे आज की महानगरीय पीढी ने अपनाया । क्या हमारे ,धार्मिक संस्कार जो विवाह जैसी संस्था में संभव है आज पहले से भी अधिक प्रांसगिक नही ?

Monday, September 19, 2011

जो नही है साथ...................!

जीवन में कितने ही उतार चढाव आते है पर जीवन कभी नही रूकता अगर कभी तुम थकने लगो कुछ नये रंग भरो रोज के थकाने वाले ढर्रे को छोड हमेशा नया करते रहने की सोचते रहे । जो ठहर जाये वह पानी नही क्योंकि ठहरे हुए पानी में वह बात नही होते जो बहते हुए पानी में होती है दोस्तों कभी जिन्दगी से तंग आकर लगे तब यह सोचना हम यहां क्यों इस संसार में क्यों क्या मकसद था परमात्मा का जो उसने हमें हमारें रूप में यह जीवन जीने को दिया क्या सचमुच यह हमारी इच्छा थी क्योकि इन्सान जो चाहता वह कभी नही होता है जो कुछ होता उस पर हमारा बस नही हम सिर्फ कठपुतली है जिन्हें किसी के इशारों पर नाचना पर मेरा यह मानना है अपने जीवन की बागडोर ईश्वर के अलावा किसी अन्य के हाथों में नही सौपनी नही चाहिए।
समय चल रहा है श्राद्व का अपने पितरों को याद करने का उन्हें श्रद्वाजलिं देने का पर क्या बाकी समय धार्मिक कर्मकाण्डों के अलावा हम अपने दिवगतों को याद कर पाते है । शायद याद तो हमेशा ही रहती है मन में जिनके अपने उन्हे छोड अकेला कर चले जातें है उनसे पूछे क्या उन्हे उम्र यह दुख नही रहता कि वह होता/होती तो जिन्दगी का कुछ अलग ही रंग होता ।
किसी के भी दुख को स्थायी नही बनने दे यह जिन्दगी खूबसुरत होती है फर्क यह है कि हम हर परिस्थिति में सच्चे इन्सान के रूप में हमेशा हंसते रहे अपनी हर पीडा को भुला कर। 
जो झलक जाये वह आंसु नही.........................................। 

Sunday, July 17, 2011

रास्ता कब खत्म हो चला.......!

जिन्दगी कहां ले चली तू मुझे
रास्ता कब खत्म हो गया
सफर तो कही अधूरा- सा
अब कब तूझसे रूबरू
क्या कभी नया ख्वाब .............!
दिखाकर गुम हो जायेगी खुशी
वो कौन सा मोड है जहां
तुझे ढूंढ लूगी मै ........!
जिन्दगी क्या है तेरा नया रंग
किसको जोडू किससे मुंह मोडु
रिश्तें कही न कही
जख्म दे रिसते ही रहे
वो कौन सा आसमां है
जिसे कहूं तू मेरा है........!
अब मेरी जां मेरी भी
नही उस पर हक है
किसी न किसी का
जिन्दगी अब क्या है मेरे वास्ते
चाहूं भी तूझमें मेरा अक्श
नही दिखता ...........
कहने को तो है
सितारे बहुत
एक चांद भी अपना नही लगता.......!
परायी जमीन पर
घर की इमारत
प्यारा एक धोखा है
फिर भी धोखे में जिये जा रही है जिन्दगी।

Monday, May 9, 2011

sorry Mama.......!

मम्मा, सारी, मै आपके लिए कुछ नही ला पायी मैने सोचा मै आपको आपको एक नैकलैस गिफट करू । पापा क्या आप मेरी मम्मा के लिए नेकलैस ला देगे? मै कैसे बाजार जाउ? मम्मा आज मैदर्स डे है, न पापा को बोलो न मेरे साथ चले !अपनी नन्ही सी गुडिया के मुंह ऎसी बाते सुन कर मै हैरान हो गयी मेरी आंखो मे आंसू आ गये इतना छोटा बच्चा इतनी फींलिग्स वो अभी सिर्फ यूकेजी में पढती है ।मैने उसको कहा की आज मैदर्स डे नही है पर उसने टीवी पर दिखाया देखो मम्मा !
     टीवी देखते- देखते बच्चे काफी कुछ सीख जाते  है जो हम उन्हे कभी नही बताते टीवी उन्हे बहुत कुछ सिखा रहा है । लडकिया अपने माता पिता के प्रति कुछ ज्यादा ही संवेदनशील होती है लडको में यह संवेदनशीलता कम होती है 
वह अपनी दुनिया में ज्यादा मशगुल रहते है ।




बचपन मे एक कहानी पढी थी जिसमें हमीद नाम का बालक मेले में दूसरे बच्चों की तरह पैसे अपने लिए न खर्च कर अपनी मां के लिए एक चिमटा लाना पसन्द करता है क्योकि रोटी बनाते वक्त उसकी मां के हाथ जल जाते थे । कहते है पूत के पांव पालने में ही दिख जाते है । 


 कभी -कभी  बहुत दुख होता  है जब यह खबर सुनने को मिलती है किसी के युवा पुत्र की मृत्यु आसयमिक  हो जाती है या वह खुद ही मृत्यु को गले लगा लेता वह स्थिति उन माता पिता पर कितनी भारी गुजरती है इसकी कल्पना कर पाना भी दुखद है । सहनशीलता का हास जो आजकल देखने को मिलता है जीवन से घबरा जाते है कठिन परिस्थतियों को नही झेल पाते है । सवाल यह उठता है कि आज के समाजिक परिवेश मे बच्चों की परवरिश किस ढंग से की जाये की वह बडे होकर सहनशील बने दुसरों को सहारा देने के लायक बने न कि सिर्फ स्वार्थ में अपने ही हित के बारे में सोचे ।
  

Saturday, March 19, 2011

मनाये होली कि याद करे हर, बार.......।






जीवन में भरे खुशियों के रंग
खेले होली सब संग,
रिश्तों में बनाये 
गुझिंया की मिठास
 करे बस नयी शुरूवात


भुलाये दुशमनी का भाव
रखे एक बात याद 
प्रेम है तो जीवन है
नही तो यह एक स्रंगाम
              
 जीवन में याद करे वो रंग


जो कभी खेले थे सगं -संग
यही तो मौका है 
बस इसे यूं ही न गवायें
है टीस कही चुभती 
कर दो रंगो से सरोबार
                  
 मनाये होली कि याद करे हर, बार.........। 






Thursday, March 10, 2011

वह सर्वशक्तिमान है......

कभी-कभी जिन्दगी से भाग कर कुछ पल चुरा कर सोचते है जब कभी हम किस राह पर आ खडी है जिन्दगी न वापसी का रास्ता है न कोई डगर जहां सकूंन के दो पल मिलते तब मन अकारण ही घबराता है । तन्हा खडी जिन्दगी किस की राह तकती है फिर होता है वैराग्य झूठ है हर बन्धन, माया, मोह है। क्या अपना है क्या पराया है बस इसी सोच में उम्र निकलती है साथ ही गुजर जाता है वह वक्त जो अभी तक व्यतीत हुआ अब लगता है व्यर्थ है वह जीवन जो गुजरे प्रभु बिन क्यों अन्धकार में रास्ता खोजा क्यों नही प्रभु की शरण ली एक वही तो अपना है सब उसके हाथों में ही है वह सर्वशक्तिमान है कभी संदेह हो उसकी सत्ता पर तो वह किसी न किसी रूप में खुद से परिचय करा ही देगा तब यह ही लगेगा क्यो इतना जीवन व्यर्थ गवाया उसे क्यों न सहारा माना । तुच्छ वस्तुओ में समय गवाया । आह ! ! अब कितनी शान्ति है शायद यह भी उसकी ही मरजी हो क्योकि पहले उसका ध्यान करते तो मन मृगतृष्णा में भीषण भटकता अब सब कुछ साफ कुछ भी उसकी राह से डिगा पायेगा क्योकि ईशवर जो मुझमें बसा है उसे पहचान पाना अपने वश में नही सब उसकी इच्छा पर है हम सिर्फ मूकदर्शक है इस संसार रूपी फिल्म के दर्शक मात्र । 

Tuesday, February 15, 2011

Ganga ke Kareeb: भगवान राम का विश्राम स्थल.....रघुनाथ मंदिर, ऋषिकेश...

Ganga ke Kareeb: भगवान राम का विश्राम स्थल.....रघुनाथ मंदिर, ऋषिकेश...: "पिछली पोस्ट में आपने त्रिवेणी घाट ऋषिकेश स्थित रघुनाथ मंदिर एवं ......................ऋषिकुण्ड के संबन्ध में उसक..."
पूरी पोस्ट पढने के लिए क्लिक करे शीर्षक।

Thursday, February 10, 2011

Ganga ke Kareeb: भगवान राम का विश्राम स्थल ।


: "ऋषिकेश के प्राचीन पौराणिक मंदिर ऐतिहासिक युग का प्रतिनिधित्व करते है इसी में रघुनाथ मंदिर भी है गंगा के करीब पर आपने पूर्व..."

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Thursday, January 27, 2011

तनाव से रहे दूर....

जीवन जीने के लिए क्यों बहाने खोजता है इन्सान ? बिना किसी मकसद के जीवन क्या जीवन रह जाता है जब कोई मकसद नही रहता वह मायूसी में खो जाता है इन्सान इतना कमजोर क्यो है।हताशा एक दौर होती है जो समय रहते खत्म भी हो जाती है पर आज डिप्रेशन के मरीजो के तदाद भी बढती जा रही साथ ही मानसिक रोगो में भी बढोतरी होती ही जा रही तनाव आज के जीवन का एक ऎसा साथ है जो किसी न किसी रूप में सभी के साथ जुडा हुआ है ।सब से खुशकिस्मत कौन है वह जो रात जो बिना किसी तनाव के चैन की नींद सोता है ।बच्चो को पढाई का तनाव गृहणी को घर को लेकर हर छोटी बडी बात पर तनाव पति-पत्नी के बीच तनाव आफिस में कर्मचारियों में तनाव किस किस का ज्रिक करे यह लिस्ट इतनी लम्बी हो जायेगी की मेरे शब्द ही कम पढ जायेगे पर मै तो यही मानती हो यदि व्यक्ति अपनी स्थिति से सन्तुष्ट रहे तो तनाव उसकी जिन्दगी पर अधिक देर तक हावी नही हो सकता सभी जानते भी है तनाव से कितनी बिमारियां पनपती है तो दोस्तो तनाव से दूर रहो । अपने आप को व्यस्त रखे उन लोगो से दूरी रखे जिनसे आपको अकारण ही तनाव 
मिलता है । जीवन में अध्यात्म को जगह दे।


अभी हाल ही में सुना अकेलेपन से घबरा कर एक बुजुर्ग ने अपना जीवन ही ही समाप्त कर लिया .....हम अकेले कब होते है क्या ईश्वर हमारे साथ नही जो हर पल हमे देखता सुनता है कभी अकेलेपन में यह अहसास करे देखे हमारे साथ हवा है आकाश फूल है पत्ते है । कुछ नही तो वह सुक्ष्म जीव तो है ही न जो दिखायी नही देते । मेरे यहां यह सब कहने से मकसद यह ही है कभी जीवन को खुद न नष्ट करो यह भगवान की अनुपम भेट  है जब उसे हमारी जरूरत होगी वह खुद ही हमे बुला लेगा फिर यह पाप क्यों करे ।जैसा भी जीवन हमारा होता है वह कुछ हमारे कर्मो की सौगात भी होता है इसलिए दोस्तो जैसा भी काटे जीवन उसमें किसी को कष्ट देने की भावना न हो तब देखइये हमारी सारी तकलीफे पल भर में खत्म हो जायगी.......।

Wednesday, January 12, 2011

मुबारक हो सभी को लहोडी का त्यौहार



मूँगफली की खुशबू ,गुड की मिठास,मक्के की बहार
ख़ुशियाँ मिले हजार,मुबारक हो सभी को लहोडी का त्यौहार।

Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

life's stories