Sunday, July 17, 2011

रास्ता कब खत्म हो चला.......!

जिन्दगी कहां ले चली तू मुझे
रास्ता कब खत्म हो गया
सफर तो कही अधूरा- सा
अब कब तूझसे रूबरू
क्या कभी नया ख्वाब .............!
दिखाकर गुम हो जायेगी खुशी
वो कौन सा मोड है जहां
तुझे ढूंढ लूगी मै ........!
जिन्दगी क्या है तेरा नया रंग
किसको जोडू किससे मुंह मोडु
रिश्तें कही न कही
जख्म दे रिसते ही रहे
वो कौन सा आसमां है
जिसे कहूं तू मेरा है........!
अब मेरी जां मेरी भी
नही उस पर हक है
किसी न किसी का
जिन्दगी अब क्या है मेरे वास्ते
चाहूं भी तूझमें मेरा अक्श
नही दिखता ...........
कहने को तो है
सितारे बहुत
एक चांद भी अपना नही लगता.......!
परायी जमीन पर
घर की इमारत
प्यारा एक धोखा है
फिर भी धोखे में जिये जा रही है जिन्दगी।

Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

life's stories