Friday, August 25, 2017

छोटा काम


छोटा काम
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"  मै किसी जरूरी  काम से जा रहा हूं तुम यहाँ अकेले रहोगी कहो तो तुम्हे घर छोड दूं वापसी में साथ लेता आऊगा", 'ठीक है छोड दो लेकिन समय से वापस आ जाना.'
रीया और अभिषेक ने परिवार वालो की सहमति से रीया के साथ प्रेमविवाह किया था अभिषेक काफी समझदार व सुलझा हुआ इन्सान था वही रीया घमंडी व एकाकी पर मासूम थी, दोनो की उम्र में भी फासला था.
रीया रात भर इन्तजार करती रही कब वो वापस आयेगा और भुखे ही सो गयी उसके घर वाले समझाते रहे की किसी काम में फंस गया होगा इसलिए नही वापस आया होगा पर वो नही मानी उसके दिमाग में बस एक ही बात थी उसे मायके में छोड खुद अपने दोस्तों के साथ घुम रहा होगा रीया ने ठान लिया की जब वो आयेगा तो उससे बात नही करेगी .अगले दिन जब अभिषेक वापस आया तो रीया के अलावा सब प्रसन्न थे ....."क्या हुआ किसी ने कुछ कहा क्या तुम क्यो उदास हो मुझे तुमसे कोई बात नही करनी ,क्यो? तुम तो शाम को वापस आने वाले थे न ?नही आ पाया अब तो आ गया न देखो मै तुम्हारे सिए क़्या लाया हूं नही चाहिए मुझे जाकर अपने चहेतों को दे देना"... रीया के तेवर देख ससुराल में अपने को अपमानित समझ अभिषेक तुंरत लौट गया .."क्या हुआ रीया अभि कहाँ  गया तुन्हारा झगडा हुआ"   माँ बहुत गुुस्से में थी उन्हे अपनी लाडली के तेवरों का पता था  " रीया.. अभी तुम्हारी शादी को दिन ही कितने हुए तुम दोनो कितना झगडा करते हो वो भी हमारे सामने ,पीठ पीछे तो न जाने क्या करते होगे अभी वो अाया औऱ तुम्हे लिए बगैर ही चला गया." "माँ तुम चिऩ्ता मत करों करो मै खुद ही वापस चली जाऊगी मुझे कोई शौक नही है यहाँ आने तुम्हारा सर चढाया  है अभि को वो ही मुझे यहाँ छोड के जाता है",  "मेरा वो मतलब नही था ..बेटा हम तो बस यह चाहते तुम दोनो प्यार से रहो झगड कर नही " '.मै जा रही हूँ ..'....
रीया झटपट अपना बैग उठा कर निकल गयी..."अरे सुनो तो रीया रूको " माँ पीछे पीछे दौडी पर रीया तो जा चुकी थी  "यह लडकी भी न."...उफ!!
घर पँहुची रीया को दरवाजे पर ताला मिला चाबी पडोस से ली उसे पता था अभिषेक चाबी पडोस में दे जाता है ..पडोसन ने बताया कि वो बोल गया है कि तुम्हें बता दूं वो शाम को आयेगा ठीक है  उसने बदले में यही कहा .
..."भाभी भैया है ....? नही तो अच्छा यह उनका समान दे देना," "तम्हारे पास अभि का समान परसों तुम भी अभि के साथ थे .नही...हाँ पर भैया मेरी गाडी ले गये थे एक सवारी को अचानक दिल्ली जाना था मुझे कुछ काम था तो अभिषेक भैया गये थे..".
 .क्या ..??
मुझे कुछ नही बताना होता है , कुछ देर बाद अभि भी आ गया बोला गुस्सा उतर गया ...रीया सुबकने लगी क्या हुआ तुम क्यो रो रही हो मेरा आना अच्छा नही लगा ..यह क्या रीया उसके सीने से जा लगी  ",तुमने बताया क्यो नही तुम इतनी दूर गये थे पर क्यो ??"
"तुम्हे पता है रीया मेरे पास कोई काम नही है घर का खर्च  और तुम्हारी कपडे जो तुमने मॉल में पसन्द किये थे वो  भी लाने थे.काम कोई छोटा बडा नही होता सवारी को छोड दिया बस और जब मुझे जॉब मिल जायेगी तब मै नही करूंगा. "रीया खिलखिलाकर हँस पडी.

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सुनीता शर्मा खत्री

(Copyrights)

Thursday, August 24, 2017

मामा ..


मामा
****(*कहानी*)
लाली.. यह गठरी जरा अपने सर पर ऱख लो अब मुझसे और इसका बोझ न उठाया जायेगा...नानी को जल्दी थी गठरी में बंधी रूई से नयी रजाई बनवाने की ताकि उनकी लाडली नवासी को ठंड न लगे सर्दियों में सो मुझे साथ ले चल पडी इतनी  बडी गठरी को लेकर दुकान पर देने .मैने अपने नन्हे हाथों से गठरी अपने सर  पर रखी ताकि कुछ देर के लिए नानी अपनी कमर सीधी कर सके पर नन्ही बच्ची कैसे इतना बडा गट्ठर उठा पाती...लगभग मै चिल्ला ही पडी नानी...! तुम्हे क्या जरूरत थी इसे लेकर आने की , नाना जी किसी  हाथों  भिजवा ही देते न ..मुझे नानी पर बहुत गुस्सा आ रहा था  . अच्छा चल थोडी देर सुस्ता लेते है
 नानी मुझे गुस्सा होते देखा तो एक किनारे के घर की दयोढि पर शरण ली तो मै भी उनके साथ बैठ गयी और कितनी देर लगेगी नानी ...बस थोडी दूर और जाना है  .मुझे पता था नानी को मेरी कितनी फिक्र थी .
 नानी देखो मामा जी आ रहे है .कौन बिशन ?...वो उनके पडोस ने ही रहते थे हां ...उनसे बोल दो वो यह गठरी रजाई वाले की दुकान पर छोड देगे...अरे माता जी यहाँ काहे बैठी हो भगत जी आपको ढूंढ रहे है..भगत जी मेरे नाना जी को बोलते थे जो विष्णु भगवान के परम भक्त थे  ...मामा जी हमारी गठरी दुकान पर छोड दोगे क्यो नही बिटियां
 फिर मामा जी नानी को घर भेज दिया ..और अपनी साइकिल पर मुझे आगे बिठाया और रूई की गठरी साईकिल के   कैरियर पर  बांध लिया  . जो काम नानी और मेरे लिए तोडने के समान था उसे मामा ने चुटकी बजाते ही कर दिया...
 रात में  नानी के पास जा कर पूछा ...नानी हमारे मामा नही है?? है .. तो तुम्हारा मामा  बिशन, दीपू और न जाने उन्होने कितने नाम गिना दिये जिनमें से कुछ को मै जानती थी कुछ को नही.पर मुझे पता यह सब पडोस और रिश्तेदारी के थे..
 काश मेरे भी मामा होते...!!!!
 सुबह नाना जी मेरे पास अाये और बोले बैठक में आओ देखो हम तुम्हारे लिए क्या लाये है ..क्या जाओ देखों मै भाग कर गयी देखा बैठक में एक सुंदर शनील की रजाई रखी थी मसहरी पर .. वाह !! कितनी सुंदर है कितनी मुलायम..है और कितनी गर्म है .
 वापस नानी के कमरे में गयी तो नाना नानी से कह रहे थे कल एक जजमान ने दी  , उन्ही के यहां सत्यनारायण भगवान की कथा करने गया था.मुझे पूरा पक्का विश्वास हो गया ,  कमल, शंख ,चक्र और गदा धारी  जिनका चित्र पूजा घर नें है वो ही मेेरेे मामा है जिन्होनें  मुझेे और नानी को यह उपहार दिया.

Saturday, August 19, 2017

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों


अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
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दो विरोधी गुटो के नेता आपस में बहस कर रहे थे नये सत्ताारूढ दल के नेता ने भूतपूव सरकार के नेताओ को देश की मौजूदा सि्थति का जिम्मेदार बता रहे थे कि इतने सालो तक देश पर राज किया पर देश वही का वही है उन्होने सिर्फ देश को खोखला किया और नेताओ ने लूटा जनता को बस.अब देखना हम इस को  कैसे सोने की चिडिया बनायेगे .
 भूतपूव सत्तारूढ दल का एक बुजुग नेता बहुत देर से सारी बाते सुनता रहा..बाद में  उठ कर खडा हुआ और नम आँखो से बस  इतना ही बोला...."कर चले हम फिदा जानो तन साथियो अब तु्म्हारे हवाले वतन साथियो ...".!!!!

Wednesday, August 9, 2017

सादगी

सादगी
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पता नही ....क्या होता जा रहा है विभा को हर वक्त आइना के आगे खड़ी रहती है...जब सही समय था तो सबको सादगी से रहने का भाषण देती अब खुद को किसी मॉडल से कम नही समझती अब जब चालीस बंसत पार कर चुकी अपने बेढब हुए पेट को चुस्त जींस पर लटकते हुए टॉप से ढक कर आधुनिक परिधान पहन कर जाने किसे रिझाने की असफल कोशिशों को, कामयाब करना चाहती है..यह.. उसको देखती हूँ तो  या तो हंसी अाती है फिर अफ़सोस होता है.
यह कैसे कपडे पहने है विभा तुमने ? कयूं  क्या खराबी है इनमें ठीक तो मै कितनी अच्छी लगती हूँ..जींस टाप ही तो है जो तुम मुझे घूर रही हो तुम भी तो पहनती हो न ???
उसमे कोई खराबी नही पर कुछ तो उम्र का ख्याल करो तो, इतना भी क्या पर वो कब सुनने वाली थी.
यह वही विभा  है जो शादी से पहले सादगी की मूर्ति बन औरों को भी सादगी से रहने का भाषण दिया करती थी...कहती थी अगर हम साधारण वेशभूषा धारण करते है तो कही भी आ जा सकते फैशन में रहकर सबकी नजरे हम पर ही टिकी रहती है  और काम करने से लेकर कही अाने जाने में लोगो की निगाहों में हमी होते हैं . इतने सालों बाद न जाने विभा की जिंदगी किस दौर से गुजरी की वह बदल गयी यह वो नही थी जिसे मै जानती थी.
जब उसने आप बीती सुनाई तो मै दंग रह गयी.. विभा का विवाह एक एेसा इंसान के साथ हुआ जो आधुनिक ख्यालों का था उसे फैशनेबल कपड़ों का चाव था वह खुद भी अप टू डेट बना फिरता था ..उसे विभा की सादगी जरा भी पंसद न अायी वह अाये दिन उसे नीचा दिखाता ..और गंवार जाहिल के तानों से उसके दिल को छेद डालता.
विभा ने उसे खुश करने की हर संभव कोशिश की पर उसके दामन में कोई खुशी न आयी.
विभा ने खुद को पूरी तरह बदल लिया हेयर स्टाइल से लेकर हर वो अाधुनिक परिधान उसके पास था जिन्हें देख वह नाक भौं बनाया करती थी. फिर भी वो तन्हा थी उसका हमराज उसके साथ कहाँ था ....क्या दिया सादगी ने विभा को.    
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सुनीता
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Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

life's stories