
मिलता है । जीवन में अध्यात्म को जगह दे।
अभी हाल ही में सुना अकेलेपन से घबरा कर एक बुजुर्ग ने अपना जीवन ही ही समाप्त कर लिया .....हम अकेले कब होते है क्या ईश्वर हमारे साथ नही जो हर पल हमे देखता सुनता है कभी अकेलेपन में यह अहसास करे देखे हमारे साथ हवा है आकाश फूल है पत्ते है । कुछ नही तो वह सुक्ष्म जीव तो है ही न जो दिखायी नही देते । मेरे यहां यह सब कहने से मकसद यह ही है कभी जीवन को खुद न नष्ट करो यह भगवान की अनुपम भेट है जब उसे हमारी जरूरत होगी वह खुद ही हमे बुला लेगा फिर यह पाप क्यों करे ।जैसा भी जीवन हमारा होता है वह कुछ हमारे कर्मो की सौगात भी होता है इसलिए दोस्तो जैसा भी काटे जीवन उसमें किसी को कष्ट देने की भावना न हो तब देखइये हमारी सारी तकलीफे पल भर में खत्म हो जायगी.......।