HAPPY NEW YEAR 2011
जिन्दगी के उतार चढाव में झांकने की एक कोशिश का नाम है जीवन धारा। बह रहे है इस धार में या मंझधार में कौन जाने?
Friday, December 31, 2010
Monday, December 13, 2010
Saturday, December 11, 2010
Ganga ke Kareeb: गंगा के करीब ........ आध्यात्मिकता की तलाश
"कहते है तीर्थो के पवित्र वातावरण में ऋषि-मुनियों के सत्संग से मनुष्य निष्पाप हो जाता है। अर्थवेद के
अनुसार बडे-बडे यज्ञो का अनुष्ठा..."
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Wednesday, December 8, 2010
Ganga ke Kareeb: प्रश्न बहुत है ?
"बनारस में गंगा आरती के दौरान आतकियों ने बम विस्फोट कर बहुत ही घृटित कार्य किया है उन्हे तो आतंक फैलाना ही है क्या इस तरह के हमारे धार्मिक स्..."
Sunday, November 7, 2010
जीवन पानी सरिता का.......
जीवन चलता कभी न रुकता
रूकता तो मंझधार है
जीवन पानी सरिता का
बहना जिसके ध्येय है ,
अन्तहीन सफर ,कभी अन्धेरे
कभी गतिहीनता है, यह सफर
बडा अनोखा यहां हार जीत का सवाल है
चलते चलते सोचे जरा
यह कौन सा पडाव है
रूक जाये, जब समय भी
टिक- टिक क्या कहती घडी
अपने परायो के फेरों में उलझे रहते है हम।
जो दे जख्मों को उनसे खुशियों
की तमन्ना कैसे हो ।
जीवन फिर भी चलता
गम चाहे , खुशी हो
यह सफर तो कटना है
जीवन चलता कभी न रूकता
रूकता तो मझधार है..................
रूकता तो मंझधार है
जीवन पानी सरिता का
बहना जिसके ध्येय है ,
अन्तहीन सफर ,कभी अन्धेरे
कभी गतिहीनता है, यह सफर
बडा अनोखा यहां हार जीत का सवाल है
चलते चलते सोचे जरा
यह कौन सा पडाव है
रूक जाये, जब समय भी
टिक- टिक क्या कहती घडी
अपने परायो के फेरों में उलझे रहते है हम।
जो दे जख्मों को उनसे खुशियों
की तमन्ना कैसे हो ।
जीवन फिर भी चलता
गम चाहे , खुशी हो
यह सफर तो कटना है
जीवन चलता कभी न रूकता
रूकता तो मझधार है..................
Wednesday, November 3, 2010
Tuesday, September 21, 2010
Ganga ke Kareeb: क्रोधित है मां.........................!
"उफान में गंगागंगा के किनारे बस्तियां हई जलमग्न गंगा के प्रवाह में बह गयी शिव गंगा ,के करीब रहने वाले
सकते में है आश्चर्य में है उ..."
थम गयी जिन्दगी की रफ्तार,फिर चल पडी अपनी राह जिन्दगी ............................!
पूरी पोस्ट पढने के लिए क्लिक करे क्रोधित है
मां..........
http://sunitakhatri.blogspot.com
सकते में है आश्चर्य में है उ..."
थम गयी जिन्दगी की रफ्तार,फिर चल पडी अपनी राह जिन्दगी ............................!
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मां..........
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Wednesday, September 8, 2010
Wednesday, September 1, 2010
कौन है यह..........नागा सन्यासी....?
Ganga ke Kareeb: कौन है यह..........नागा सन्यासी....?: "कौन है यह..........? जो शरीर पर भस्म लगाये ,वस्त्र- हीन,अदृभुत रूप वाले, अवधुति........? जन साधारण के मन में नागा सन्यासियों को लेकर कौतुह..."
यह आलेख सीरीज में है कृपया पढने के लिए शीर्षक पर क्लिक करे............
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Friday, August 20, 2010
प्रकृति से हारी जिन्दगी ........
बुधवार को बागेशवर के कपकोट के सुमगढ में सरस्वती शिशु मंदिर में बादल फटने के कारण स्कूल के मलबे मे 18 मासूमों की जाने चली गयी टी.वी चैनलों में आ रही खबरे, दिल दहलता है इस तरह की खबरों से जब प्रकुति का कहर बरपता है तो कुछ नही बचता ।जिन्दगी उन लोगो की क्या होती है? जो इस तरह की घटनाओं का शिकार होते है वह परिवार वह माताये जिन्होने अपने नन्हे बच्चो को स्कूल भेजा पढने के लिए उन्हे क्या पता वहां मौत उनका इन्तजार कर रही है स्कलो की इमारतें इतनी कमजोर होती है कि जरा सी प्राकृति विपदा को सहन न कर सकी जबकि पहाडों मे तो बादल फटना कोई नयी बात नही ।
जीवन तो फिर भी आगे चलेगा पर उन परिवारों में कितनी दहशत होगी जिनके मासूम इसमे दफन हुए क्या वह इस सदमें से उबर पायगे ।बुधवार को बारिश थी ही बहुत भयानक सुबह जब बच्चो को स्कूल भेजने के उठाया तो चारों तरफ अंधेरा था इतना कालापन न जाने क्यो लग रहा था आज न जाने क्या होने वाला है ।प्रकृति के आगे आज भी मनुष्य बेबस है ,जीवनधारा चलते चलते ठहर जाती है ।
उत्तराखण्ड में बारिश अभी जारी ही है मेरी तीर्थ भूमि ऋषिकेश में जरूर आज बारिश से राहत मिली व बादलो के बीच से सूर्यदेव के दर्शन होते रहे। स्कूलो मे अवकाश घोषित होने से स्कल बन्द है पर दिल के किसी कोने में यह डर भी है अपने जिगर के टूकडों हम स्कूल तो भेज देते है पर क्या वह वहां पूरी तरह सुरक्षित है बस यही सब सोचते हुए जिन्दगी दूसरे कामों में उलझ जाती है क्यों यह जीवन है..................।
जीवन तो फिर भी आगे चलेगा पर उन परिवारों में कितनी दहशत होगी जिनके मासूम इसमे दफन हुए क्या वह इस सदमें से उबर पायगे ।बुधवार को बारिश थी ही बहुत भयानक सुबह जब बच्चो को स्कूल भेजने के उठाया तो चारों तरफ अंधेरा था इतना कालापन न जाने क्यो लग रहा था आज न जाने क्या होने वाला है ।प्रकृति के आगे आज भी मनुष्य बेबस है ,जीवनधारा चलते चलते ठहर जाती है ।
उत्तराखण्ड में बारिश अभी जारी ही है मेरी तीर्थ भूमि ऋषिकेश में जरूर आज बारिश से राहत मिली व बादलो के बीच से सूर्यदेव के दर्शन होते रहे। स्कूलो मे अवकाश घोषित होने से स्कल बन्द है पर दिल के किसी कोने में यह डर भी है अपने जिगर के टूकडों हम स्कूल तो भेज देते है पर क्या वह वहां पूरी तरह सुरक्षित है बस यही सब सोचते हुए जिन्दगी दूसरे कामों में उलझ जाती है क्यों यह जीवन है..................।
Thursday, July 29, 2010
जीवन के सफर में
आज जिन्दगी बहुत से सवाल करती है वो राहे जो पीछे छूट गयी है, वह राहे जो आज भी अन्जान है मेरे गुजरने से ।कितने पड़ाव तय करते हम फिर जिन्दगी लगता है ठहर जाती है कभी भागती है कभी रूक जाती है कभी सवाल करती है कितनी ही बार किसी न किसी के जीवन यह प्रश्न भी खडा तो हुआ होगा आखिर वह दूनिया में आया क्यो है उसका वजूद क्या है तब जिन्दगी जरूर बेदर्दी से उस हंसती होगी कि यह कैसा सवाल है क्योकि यह एक सफर है जो हमें काटना है कभी अपनो क साथ कभी अकेले । कभी आसुओं के साथ तो कभी खुशियों के साथ सभी की उम्र बहुत अधिक नही होती जहां खुशी है वहां गम अपने पांव पैसार लेता है जहां गम होता है वहां खुशी भी दबे पांव तुम्हारा इन्तजार करती है । कभी हमसफर राह में साथ देता है तो कभी तुम्हे अकेला छोड देता है पर जिन्दगी कभी नही रूकती यह चलती रहती है बिना किसी के परवाह किये ।कुछ लोग होते है जो समझ ही नही पाते उन लम्हो को बार चाहते जो उन्हे अच्छे लगे उसकी चाह में वह अपना सबकुछ खो बैठते पर गुजरा समय गुजर जाता है वह फिर लौट कर नही आता समझदार वह होते है जो सबकुछ भुला कर नयी खुशियों को जिन्दगी में पनाह देते है फिर जिन्दगी उनके लिए गुनगुनाती है यही जीवन है.............।
Wednesday, June 16, 2010
मुझे चलना है अभी
मुझे चलना है अभी
अन्जान राहों से गुजरना है अभी
न मंजिल का पता न सफर का पता
कोई साथ है तो बस तन्हाई मेरी,
कठिन डगर मुश्किल सफर
किसको आवाज दे कोई साज भी तो नही
कितना मायूस होता है
नादानियों पर यकीन नही होता ।
पत्थर बन गये गिरते आंसु
पलकों पर कोई तरन्नुम नही
छूता कौन जज्बातों को
सब अपनी रौ में है
चलना है अभी
अभी तो जख्मों की शुरूवात भर
कितनें पडाव आयेंगे बोझल कर जायेगें।
विवशताओ के अधियारें
ढंक लेगे मुझे एक चादर से
फिर होगा इन्तजार किसका
फूलों से सजा है दामन मेरा
कांटो से दोस्ती करते है
डरने वाले क्या खाख सफर तय करते है।
चलना है अभी
अभी पडाव नही आयेगा
अभी तो चलना शुरू किया
कौन जाने कहां सवेरा होगा
अन्तहीन इस सफर में कही तो बसेरा होगा.....................।
अन्जान राहों से गुजरना है अभी
न मंजिल का पता न सफर का पता
कोई साथ है तो बस तन्हाई मेरी,
कठिन डगर मुश्किल सफर
किसको आवाज दे कोई साज भी तो नही
कितना मायूस होता है
नादानियों पर यकीन नही होता ।
पत्थर बन गये गिरते आंसु
पलकों पर कोई तरन्नुम नही
छूता कौन जज्बातों को
सब अपनी रौ में है
चलना है अभी
अभी तो जख्मों की शुरूवात भर
कितनें पडाव आयेंगे बोझल कर जायेगें।
विवशताओ के अधियारें
ढंक लेगे मुझे एक चादर से
फिर होगा इन्तजार किसका
फूलों से सजा है दामन मेरा
कांटो से दोस्ती करते है
डरने वाले क्या खाख सफर तय करते है।
चलना है अभी
अभी पडाव नही आयेगा
अभी तो चलना शुरू किया
कौन जाने कहां सवेरा होगा
अन्तहीन इस सफर में कही तो बसेरा होगा.....................।
Sunday, June 13, 2010
यह जीवन है ..................।
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यह जीवन है, इस जीवन का यही है रंग रूप
थोडे गम है थोडी खुशिया यही है यही है रंग रूप....... सचमुच गाने की यह पक्तियां जीवन के इस ढेडे मेढी राहो पर कितनी जानदार लगती है । दोस्तो हम सभी के जीवन कभी गम है तो कभी खुशी जो गमों से हार न माने हंस कर अपनी जिन्दगी जी, वही जिन्दगी का सच्चा रहनुमा है यकीन जानिए यह जिन्दगी भी उसी की गुलाम है जो हंसता हर हाल में हंसता चाहे उसके जीवन में कितनी भी दुख तकलीफे हो जो हंसता परस्थितयों से लडता है हर खुशी एक दिन उसकी पास होती है ।आज के युवा वर्ग को देखती हू तो लगता यह जीवन से डरता है तभीतो आये दिन छोटी-छोटी बातों पर यह अपनी जान देने लेने में उतारू रहता है हमें जिन्दगी बहुत मुशिकल से मिलती है यह पूछो उससे जो अपनी मौत से जुझ रहा होता है। आत्महत्या की दर तेजी से बढोतरी हई है पर उसके बाद कितनी ही जिन्दगी दफन होती है यह पुछो उस परिवार से जहां कभी किसी ने खुदकुशी की हो । आज रिश्ते नातो का मोल खत्म होता नजर आता है पर रिश्तों बिना जिन्दगी बोझ है यह पूछो उससे जिसका इस पूरी दुनिया में कोई न हो । चाहे जो भी मै सिर्फ यही कहना चाहती हूं जिन्दगी को खेल न समझो दोस्तो कोई अपना तुम्हारी राह तो तकता ही होगा उसे याद कर जीने का हौसला बरकरार रखना होगा जिस ईश्वर ने यह जीवन दिया उसकी देन मान अपनी राह पर आगे बढना ही होगा बिना थके....................।
गंगा मै तेरे कितने करीब हूं ?
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छोटा काम ******** " मै किसी जरूरी काम से जा रहा हूं तुम यहाँ अकेले रहोगी कहो तो तुम्हे घर छोड दूं वापसी में साथ लेता आऊगा", ...