Monday, September 19, 2011

जो नही है साथ...................!

जीवन में कितने ही उतार चढाव आते है पर जीवन कभी नही रूकता अगर कभी तुम थकने लगो कुछ नये रंग भरो रोज के थकाने वाले ढर्रे को छोड हमेशा नया करते रहने की सोचते रहे । जो ठहर जाये वह पानी नही क्योंकि ठहरे हुए पानी में वह बात नही होते जो बहते हुए पानी में होती है दोस्तों कभी जिन्दगी से तंग आकर लगे तब यह सोचना हम यहां क्यों इस संसार में क्यों क्या मकसद था परमात्मा का जो उसने हमें हमारें रूप में यह जीवन जीने को दिया क्या सचमुच यह हमारी इच्छा थी क्योकि इन्सान जो चाहता वह कभी नही होता है जो कुछ होता उस पर हमारा बस नही हम सिर्फ कठपुतली है जिन्हें किसी के इशारों पर नाचना पर मेरा यह मानना है अपने जीवन की बागडोर ईश्वर के अलावा किसी अन्य के हाथों में नही सौपनी नही चाहिए।
समय चल रहा है श्राद्व का अपने पितरों को याद करने का उन्हें श्रद्वाजलिं देने का पर क्या बाकी समय धार्मिक कर्मकाण्डों के अलावा हम अपने दिवगतों को याद कर पाते है । शायद याद तो हमेशा ही रहती है मन में जिनके अपने उन्हे छोड अकेला कर चले जातें है उनसे पूछे क्या उन्हे उम्र यह दुख नही रहता कि वह होता/होती तो जिन्दगी का कुछ अलग ही रंग होता ।
किसी के भी दुख को स्थायी नही बनने दे यह जिन्दगी खूबसुरत होती है फर्क यह है कि हम हर परिस्थिति में सच्चे इन्सान के रूप में हमेशा हंसते रहे अपनी हर पीडा को भुला कर। 
जो झलक जाये वह आंसु नही.........................................। 

Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

life's stories