Saturday, June 8, 2013

तुम मेरे हों .....last part

.....last part of tum mere ho ...

मै अपने घर वापस आ चुकी थी तुम्हे छोड़ कर तुम्हारे खुबसुरत शहर को छोड  कर क्यूंकि अब तुम्हे जो आना था पर क्या तुम आये ?
घर पर सब थे पर तुम नहीं थे  तुम्हारी यादो के साथ वक्त बीतने लगा फ़ोन पर बाते होती रही ....चाँद को देखती तो तुम्हारे साथ देखा चाँद याद आता .... पापा के साथ तुम्हारे घर के लोगो के बाते होती ...सभी खुश थे ...........कुछ दिन ही बाकी  थे हमारे मिलने के .

  
उस दिन में बेसब्री से तुम्हारा इन्तजार कर रही थी क्यूंकि तुम यहाँ जो आ रहें थे मेरे पास कितनो दिनों बाद तुम्हारा दीदार होगा ........!
पापा बोले सब अभी मेरे साथ चलो पर कहा अभी तो प्रशांत आने वाला है मुझे कही नहीं जाना फिर माँ के कान में कुछ बोले मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या हों रहा था मुझ से क्या छिपाया जा रहा था पर कुछ तो  था उन दोनों का बुरा हाल था .
पापा  हमे एक हॉस्पिटल में ले आये यहाँ क्यों पापा क्या हुआ कौन है यहाँ ....प्रशांत का सीरियस एक्सीडेंट हुआ है क्या मुझे कुछ होश नहीं ...........!
तुम्हारे मम्मी पापा ने ही पापा को फ़ोन किया था सभी हॉस्पिटल में थे ....
डॉक्टरस ने जवाब दे दिया था कुछ नहीं हों सकता था ....बाइक की  रफ़्तार इतनी तेज थी की सामने से आने वाले तेज गति के ट्रक से टक्कर लगने से बच नहीं पाई .
जब मुझे होश आया तो सामने तुम थे जो सब को छोड़ कर जा चुके थे आंखे खुली थी ............मुझे देखने की चाह में .
कुछ बाकी न था ....सिर्फ  वीरानिया थी.. क्या हक़ था तुम्हे सबको छोडके जाने का सिसकियो में, खुशिया तब्दील हों चुकी थी .
अतीत में जाकर सिर्फ दर्द ही मिलता है ....मैने तुम्हारे इसी शहर को हमेशा के लिए अपना लिया .कम से कम यहाँ तुम्हारी यादे तो बसी है ..जिंदगी कब रुकी है चल रही है तुम मेरे साथ न होकर के भी मेरे साथ हों मेरे मन में तुम हों सिर्फ तुम ..यहाँ कोई नहीं आ सकता ईश्वर ने तुम्हे अपने लिए बुला लिया पर मेरे  मन से तुम्हे कोई नहीं जुदा कर सकता तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता यहाँ से तुम्हे  कोई नही छीन सकता ....
तुम मेरे हों .................!   
  (This story has been published in Kathasamay . sep. 2013)
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तुम मेरे हों ....part 5

.....part 5

मम्मी पापा वापस चले गए ....मै फिर अपनी तन्हाईयो में  तुम्हारी यादो के साथ थी, याद आने लगा वह समय जो हमने साथ बिताया था कितना खुश थे हम दोनों परिंदों की तरह उड़ते फिरते थे ......कितना खुबसूरत था वो 
चाँद जो तुमने दिखाया था ...कभी न भूलने वाली वो शाम जो हम एक साथ बिताते थे .जब अचानक एक टूटता हुआ तारा दिखायी दिया यह क्या था मैने   कहा इतना भी नहीं जानती यह टूटता हुआ तारा था कहते है जब कोई तारा टूटता है तो कुछ मांगना चाहिए काश में यह जानती .तुमने क्या माँगा क्या मांग लो अब तुम्हारे सिवा तुम हों तो मेरे पास .मुझे तुम पर नाज था 
तो फिर घर चलते है मम्मी पापा से बात करो ,करूँगा पहले अपनी पढाई  तो पूरी कर लो जिसके लिए तुम यहाँ आई  हों...मन नहीं करता 
तुम्हारा चेहरा नजर आता है किताबो में ...फेल हों जाओगी तो मुझे ही कोसोगी की मेरी वजह से पढ़ी नहीं, ठीक है मुझे हॉस्टल छोड़ दो... फिर .उसकी बाईक हवा से बाते करनी लगी ....धीरे चलाओ  न ...तेज चलाता हूँ कम से कम तुम झटके लगने पर मुझे पकड़ोगी तो वर्ना तुम तो ऐसे करती हों जैसे मुझे पकड़ने पर तुम्हे करेंट लगता हो... हाँ लगता हाँ, मै बुदबुदाई ......शब्द हवाओ से जा मिले ...........! 

मेरी परीक्षा का आखिरी दिन था सभी पेपर बहुत अच्छे हुए थे में बहुत खुश थी तुम मुझे लेने के लिए कालेज के गेट के बाहर खड़े थे मेरे इंजार में अपने सारे काम छोड़ कर मुझसे मिलने आये थे गेट से बहार निकलते ही तुम नजर आये अपनी हरी लाल चेक की कमीज़ में जो तुम्हारे गुलाबी चेहरे पर खिल रही थी ......अपनी बाईक पर बैठे हुए .....हाय राकस्टार ....लडकियों को लाइन मारने के लिए इतना सज धज कर आये हों..... हाँ  तुम्हारी वजह से तो बात कर ही लेगी वर्ना हम से कौन बात करता है . अच्छा ये हवाई घोडा आज कहा जा रहा है कहाँ चलोगी बोलो ....जहा तुम ले चलो .
उस दिन हम दोनों घूमते रहें ......बादल छाए हुए थे ......फिर अचानक जोरो से बारिश होने लगी .उसने बाइक एक बड़े घने पेड़ के नीचे खड़ी कर दी ......हम दोनों लगभग भीग चुके थे थोड़ी देर रुक जाते है वर्ना तुम बीमार पड़ जाओगी .

बारिश ने हमें दरख्त के नीचे खड़े रहने पर मजबूर कर दिया.ठंड  भी थी और तुम्हारे कंधे की गरमाहट भी ......कल मुझे वापस जाना था इस शहर में मेरा यह आखिरी दिन था ......बारिश गवाह थी उसके वादे की  कि वो जल्द ही मेरे घर आयेगा मुझे हमेशा के लिए अपना बनाने के लिए ..........!.. to be continue..... 
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Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

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