Thursday, November 17, 2011

बेरहम है जिन्दगी.....!

बेरहम है जिन्दगी तू 
हरदम नया रंग दिखाती है 
तोड देती है है सपनों को
फिर नया ख्वाब दिखाती है।
बेदहम है जिन्दगी तू
मौत का समान बेचती है 
आज कहू तूझे जिन्दगी


पल में मौत बन खडी हो जाती है
कही दूर कोई किल्कारी सूनाई
पडती कानों में लगता अभी नही 


विराम फिर राह पर चल पडती जिन्दगी
वक्त काटना भी मानों हो एक सजा
पर वक्त को भी कभी कभी 
झुका देती है जिन्दगी ।

Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

life's stories