Wednesday, June 16, 2010

मुझे चलना है अभी

मुझे चलना है अभी
अन्जान राहों से गुजरना है अभी
न मंजिल का पता न सफर का पता
कोई साथ है तो बस तन्हाई मेरी,
कठिन डगर मुश्किल सफर
किसको आवाज दे कोई साज भी तो नही
कितना मायूस होता है
नादानियों पर यकीन नही होता ।
पत्थर बन गये गिरते आंसु
पलकों पर कोई तरन्नुम नही
छूता कौन जज्बातों को
सब अपनी रौ में है
चलना है अभी
अभी तो जख्मों की शुरूवात भर
कितनें पडाव आयेंगे बोझल कर जायेगें।
विवशताओ के अधियारें
ढंक लेगे मुझे एक चादर से
फिर होगा इन्तजार किसका
फूलों से सजा है दामन मेरा
कांटो से दोस्ती करते है
डरने वाले क्या खाख सफर तय करते है।
चलना है अभी
अभी पडाव नही आयेगा
अभी तो चलना शुरू किया
कौन जाने कहां सवेरा होगा
अन्तहीन इस सफर में कही तो बसेरा होगा.....................।

Sunday, June 13, 2010

यह जीवन है ..................।



यह जीवन है, इस जीवन का यही है रंग रूप
थोडे गम है थोडी खुशिया यही है यही है रंग रूप....... सचमुच गाने की यह पक्तियां जीवन के इस ढेडे मेढी राहो पर कितनी जानदार लगती है । दोस्तो हम सभी के जीवन कभी गम है तो कभी खुशी जो गमों से हार न माने हंस कर अपनी जिन्दगी जी, वही जिन्दगी का सच्चा रहनुमा है यकीन जानिए यह जिन्दगी भी उसी की गुलाम है जो हंसता हर हाल में हंसता चाहे उसके जीवन में कितनी भी दुख तकलीफे हो जो हंसता परस्थितयों से लडता है हर खुशी एक दिन उसकी पास होती है ।आज के युवा वर्ग को देखती हू तो लगता यह जीवन से डरता है तभीतो आये दिन छोटी-छोटी बातों पर यह अपनी जान देने लेने में उतारू रहता है हमें जिन्दगी बहुत मुशिकल से मिलती है यह पूछो उससे जो अपनी मौत से जुझ रहा होता है। आत्महत्या की दर तेजी से बढोतरी हई है पर उसके बाद कितनी ही जिन्दगी दफन होती है यह पुछो उस परिवार से जहां कभी किसी ने खुदकुशी की हो । आज रिश्ते नातो का मोल खत्म होता नजर आता है पर रिश्तों बिना जिन्दगी बोझ है यह पूछो उससे जिसका इस पूरी दुनिया में कोई न हो । चाहे जो भी मै सिर्फ यही कहना चाहती हूं जिन्दगी को खेल न समझो दोस्तो कोई अपना तुम्हारी राह तो तकता ही होगा उसे याद कर जीने का हौसला बरकरार रखना होगा जिस ईश्वर ने यह जीवन दिया उसकी देन मान अपनी राह पर आगे बढना ही होगा बिना थके....................।

गंगा मै तेरे कितने करीब हूं ?




गंगा के किनारे श्रद्वा व आस्था का ज्वार
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