Thursday, June 6, 2013

तुम मेरे हों .......३

...........तुम जो लगभग गिरने ही वाले थे तुम्हारी बाजु को कस  कर  पकड लिया .....


तुम हँसने लगे इसी तरह पकडे रहोगी तो मै हजार बार गिरने को तैयार हू ....डर गयी थी मै कहा पकड़ पाई में तुम्हे तुम तो चले ही गए न में तो अकेले ही रह गयी न .....तनहा.
तुम्हारे साथ बिताया वक्त जीने के लिए काफी है .....शाम गहराती जा रही थी . वापस जाना होगा आज पूरा दिन तुम्हारी यादो में बीत गया पता ही नहीं चला ....अँधेरा होने से पहले घाटी में लोंटना होगा ..
कितना फर्क है इन रास्तो में पहले हम साथ साथ चलते थे अब मेरा जिस्म है पर मन में, वहा  तुम्हारा राज है ..सोचा न था इन दिलचुराते रास्तो पर अकेले ही चलना होगा ...आँखों के पोर गीले हों चले थे .
तुम्हारे साथ बिताये कुछ कुछ पल अब बरस बन मेरे साथ है .तुम गए दर्द छोड़ गए यही मेरी जिंदगी है .आंसू मेरी जिंदगी का हिस्सा है इन्हे खुद से अलग नहीं कर सकती न ही इस शहर से अलग हों सकती क्यूंकि यहाँ तुम्हारी यादे है यहाँ की पहाडियों में, दरख्तों में,फिजाओं में तुम्हारी खुशबू है वो बाते है जिनकी टोह लेने में निकल पड़ती हू दीवानों के तरह ..पीर बाबा की माजर पर मेने बस एक दुआ मांगी थी ..पर मेरी आरजू पूरी नहीं हों सकती थी क्या मांग लिया था की भगवान ने चाहा ही नहीं .
...........आसमा में सितारो की झीलमिलाहट थी तो नीचे घाटी रोशनी से झिलमिला रही थी .  


वापस घर पहुंची तो रात हो चुकी थी आज  मुझे कुछ होश नहीं था पूरा दिन यू ही बीत गया . .................................बिस्तर पर जाते  ही नींद आ गयी देवानी जाने क्या कह रही थी पता नहीं आँखों में तुम्हारा अक्स लिए कब आंख लग गयी .......
....to be continue.

(all pictures frm google)

                                          

तुम मेरे हों .....२

......विवेक के जाने के बाद मै भी ऑफिस के लिए निकल पड़ी ..धुप लुकाछिपी का खेल खेल रही थी फिर से बारिश होने लगी ...घर से ऑफिस बहुत दूर था . ख्याल फिर से मेरा पीछा करने लगा मौसम बहुत प्यारा हों गया था बारिश तो मुझे बहुत प्यारी लगती है मौसम मुझे पागल बना रहा था उस पर तुम्हारे यादे.....ऑफिस जाने का मन नहीं हों रहा था ड्राईवर को वापस भेज दिया खुद ही ड्राइव करने का मन हों चला था . उन पलों को जो सहेजना था जो तुम्हारे साथ बिताये थे ....यही वो पल है जिनके सहारे मै जी रही हू यही तो जीने के एनर्जी दिए रहते है . पहाड़ी रास्तो पर गाडी चलाना खतरों से खाली नही होता पर खतरों से डर कब लगता है .
कई बार लोगो ने मेरी आजादी को कैद करने के कोशिश की पर कामयाब न  हों पाए जब कैद होना चाहा था तो ऐसा तूफान आया की मेरे अस्तिव के 


चिंदे चिंदे ही उड़ गए . तब से यह अपने साथ ऐसा भवर साथ लिए चलती है की कोई आ रहा है या नहीं वह नहीं देखना चाहती है . 
.....बारिश की बूंदों ने मझे सरोबार कर दिया कैसी सिहरन से होती है मन तड़पता है मै और भी पागल होती जाती हू .तुम क्यों दूर चले गए प्रशांत !
इन रास्तो में अब भी अतीत को खोजती हू न  जीती हू न मरती हू ...सपना कितना अजीब था जो रात को देखा था वह अब भी मेरे साथ है लगा खुली आँखों से एक खवाब देख रही हू .मन सिसकता है तब सिर्फ तुम याद आते हों जो दुनिया समझती है सच नहीं है क्या मै तनहा हू नहीं मेरे साथ तुम्हारी याद जो है इन्ही के सहारे चलना है कितनी दूर तक पता नहीं ....!
कागज पर कुछ लकीरों को बनाया बिगाड़ा वही मेरी तक़दीर बन गयी इन आड़ी तिरछी ,काली सफ़ेद  लकीरो के माया जाल में ही उलझी हू अभी तक निकल नहीं पाई .गाड़ी चलाते चलाते थकान होने लगी खयालो से बाते करते करते कितनी दूर आ गयी .थोड़ी देर रुकने का मन हुआ ....हा यही तो हम बात किया करते थे घाटी बहुत दूर रह गयी ठंडी हवा चल रही थी ...कर सड़क के किनारे पार्क कर ...पहाड़ी से नीचे देखा
 खाई देख सिहरन होने लगी ...यह सुंदर जगह तुमने ही दिखाइ थी ओह माय गॉड...इट्स बयूतिफुल ....और तुम लगभग गिरते गिरते बचे थे तुम्हारी शरारते कभी ख़त्म न  होने  का नाम ही नहीं लेती थी .............to be continue...next part very soon .
(pictures frm google)

Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

life's stories