Saturday, November 18, 2017

थप्पड


थप्पड
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'ऐ बाबु तनिक मदद करी दो , '
"काहे तोहार मर्द नही है का जो हमऊ ई काम करेब |"
"मर्दवा गया है अपनी छमिया के घरे "
हमऊ को यहां छोडे रही कहे हरे दीपावली पर आकर तोहे शहर ले जात रही पर उ कौ कौने ठिकाना नही झूठे बोलत रही
'जब ही देखो तबही हमें कहे रहे ई बार तोहे न छोडे इहां गांव में |'
झूठा है बेशर्म ...
तो तू काहे इन्तजार करे है तू भी कौन दूसर मर्द  काहे नाही  कर लेब ...ऐसन आदमी का का ठिकाना काहे अपनी जवानी बरर्बाद करत उ खातिर जौ तोहार रत्ती भर भी फ्रिक नाही करत है ...
चटाक...लल्लन के गाल पर रमिया ने जोरदार थप्पड जड दिया |
लल्लन गाल पर हाथ लगाये रमिया का तमतमाता सूर्ख गुलाबी चेहरा लाल होते देखता रहा |

'खबरदार जो दोबार ई बात  आपन मुंह से निकाली .'..

रमिया ने जैसे तैसे अपनी फलों की टोकरी खुद ही सर पर रखी और चल पडी अपनी ..डगर ई सोच के ....
अब कबही भी अपनी काम में कौनो पराये मर्द की मदद नाही मांगेगी चाहे उसे कितने भी दुख उठाने पडे |

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सुनीता शर्मा खत्री
Pic frm goggle


Monday, November 13, 2017

डायन

डायन
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जब से पडोस  में आयी .....एक एक कर सबकों निगले जा रही है डायन .....!!!!
उसकी चमकती आँखों में एक अजीब से प्यास दिखती थी बाल लम्बे ...डायन की शक्ति उसकी चुटिया में होती है किसी तरह इसकी चुटिया कट जाये तो यह किसी का कुछ नही बिगाड पायेगी |
"अरी सुनती हो....! बगल के मकान में बिरजू रहता था | अकेला था सुबह मरा पडा मिला , क्यों ?? कैसे बहन जी , हट्टा कट्टा था वो तो कैसे मर गया अभी तो बेचारे का ब्याह भी न हुआ था......काकी , यहां डायन जो आ गयी है!
अब देखते रहों कौन कौन मरता है !"

"मेरी मु्र्गियां थी बारह... बची दस दो कहां गयी...दिनकर
 बडबडा रहा था ...रामू तूने मेरी  मू्र्गी तो नही चुरायी मै क्यूं चुराऊंगा तेरी  मू्र्गी,
 ‎ जा कही ओर जा के देख पागल कही का |"

" ‎दिनकर भैया ...जल्दी आओ" .. जा मुझे परेशान न कर रामू मै तो पागल हूं  , अब काहे मुझे बुला रहा है  एक तो दो मुर्गी न जाने किसने चुरा ली मालिक मेरी पगार से पैसे काट लेगा और तो मुझे पागल कहता है नही भैया वो अाप मुझे समझ रहे थे  , मुर्गी चोर !
तो मैने कहा बाकि मुझे पता है आपकी  मुर्गी किसने चोरी किसने जल्दी बता भाई !
 ‎ऊ कुबडे की बीवी ने
 ‎जा कर......
 ‎ देखों पका कर खा रही है ...डायन है ससुरी !!!
 ‎उसकों तो हम छोडेगे नही ..
 ‎मुझ गरीब का पेट ही मिला काटने को |
" ‎जाने  दो भैया ...वो उल्टे आपको भी खा जायेगी पका कर हां हां हां  ....रामू हंसता हुआ भाग गया  |
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सीता . ..क्या है  ‎
यहां बैठी इन लुगाईयों के साथ बात बना रही है देख कालू कहां गया...
 उ तो अपने दोस्तो के साथ तैलया पर नहाने के लिए गया है अभी तक नही आया क्या ??
 ‎नही तो ..घर पर कोई नही है अभी तक नही आया हाय राम दिन ढलने को है कालू ओ कालू ..सीता अनहोनी की आशंका से तलैया की ओर  दौड पडी पीछे हरिया भी भागा चला गया |
तलैया के किनारे भीड लगी थी बाल खोले डायन बच्चे के ऊपर झुकी हुई थी |
सीता और हरिया की चीख बढ गयी , हाय दैया डायन हमार बचवा के ऊपर चढे क्या कर रही है |
देखा कालू लेटा हुआ था और उसके मुंह से पानी निकाल रहा था कुबडे की लुगाई जिसे गांव वाले डायन मानते थे कालू का पेट दबा कर डूबने के कारण पेट में जाने वाले पानी को बाहर निकाल रही थी |
"छोड डायन हमार बचवा को "....सीता ने उसे जोर से थक्का दिया और हरिया के संग मिल कालू के पेट का पानी बाहर निकालने लगे थोडी देर में कालू समान्य स्थिति में आ गया मां मां करता हुआ सीता से लिपट गया ," हमार कालू क्या रे कालू क्यो गया नहाने अगर तोहे कछु  हो जाई तो हमार क्या होगा |"
कालू सुबकने लगा हरिया बोला कालू तू पानी में कैसे डूबा "हम तलैया में गहराई में चले गये थे बापू बहुत गहरा था हम डूबने लगे थे बस हाथ ही बाहर थे किसी ने पकड कर खीच लिया और हमका बचा लिया "
" कौन के "ऊ डायन ने ...
कालू ने इशारा किया कुबडे की लुगाई की तरफ जो घुटनों में सर छिपाये बैठी थी |
अब तक कुबडा भी वहां आ गया था |
"खबरदार जो मेरी लुगाई को डायन कहा |"
सीता ने अपने आंसू पोछे बच्चे को सलामत देख वो खुश थी फिर हरिया का इशारा पा डायन के करीब जा उसे उठा कर बोली ,"ई डायन नाही हो सकत ई तो हमार तरह इंसान है  | गांव में जो कौन तुम्हे डायन कहे रहे उ का हम देख लेई" |
कुबडा खुश हो गया |
"भाभी बहुत धन्यवाद तोरा सब ईको डायन समझे रहे , ई तो खुद ही बेजुबान है बेचार गूंगी है | इस कर , कोई कुछ भी बोलता है  तो बस टुकर टुकर ताकत है अपनी बडी बडी आँखों से बाकी हम जानते है हम जैसे कुबडे गरीब को अपनी लडकी ब्याह  खातिर दे रहे | हमार बहुत सेवा करे है |
कुबडे की बात सुन डायन उठ खडी हुई और उसका हाथ थाम वहां से चल पडी उसकी आंखे सूनी रही |
भीड चुप थी सीता  और हरिया की आँखे अभी भी नम थी |
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सुनीता शर्मा खत्री

Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

life's stories