Thursday, August 24, 2017

मामा ..


मामा
****(*कहानी*)
लाली.. यह गठरी जरा अपने सर पर ऱख लो अब मुझसे और इसका बोझ न उठाया जायेगा...नानी को जल्दी थी गठरी में बंधी रूई से नयी रजाई बनवाने की ताकि उनकी लाडली नवासी को ठंड न लगे सर्दियों में सो मुझे साथ ले चल पडी इतनी  बडी गठरी को लेकर दुकान पर देने .मैने अपने नन्हे हाथों से गठरी अपने सर  पर रखी ताकि कुछ देर के लिए नानी अपनी कमर सीधी कर सके पर नन्ही बच्ची कैसे इतना बडा गट्ठर उठा पाती...लगभग मै चिल्ला ही पडी नानी...! तुम्हे क्या जरूरत थी इसे लेकर आने की , नाना जी किसी  हाथों  भिजवा ही देते न ..मुझे नानी पर बहुत गुस्सा आ रहा था  . अच्छा चल थोडी देर सुस्ता लेते है
 नानी मुझे गुस्सा होते देखा तो एक किनारे के घर की दयोढि पर शरण ली तो मै भी उनके साथ बैठ गयी और कितनी देर लगेगी नानी ...बस थोडी दूर और जाना है  .मुझे पता था नानी को मेरी कितनी फिक्र थी .
 नानी देखो मामा जी आ रहे है .कौन बिशन ?...वो उनके पडोस ने ही रहते थे हां ...उनसे बोल दो वो यह गठरी रजाई वाले की दुकान पर छोड देगे...अरे माता जी यहाँ काहे बैठी हो भगत जी आपको ढूंढ रहे है..भगत जी मेरे नाना जी को बोलते थे जो विष्णु भगवान के परम भक्त थे  ...मामा जी हमारी गठरी दुकान पर छोड दोगे क्यो नही बिटियां
 फिर मामा जी नानी को घर भेज दिया ..और अपनी साइकिल पर मुझे आगे बिठाया और रूई की गठरी साईकिल के   कैरियर पर  बांध लिया  . जो काम नानी और मेरे लिए तोडने के समान था उसे मामा ने चुटकी बजाते ही कर दिया...
 रात में  नानी के पास जा कर पूछा ...नानी हमारे मामा नही है?? है .. तो तुम्हारा मामा  बिशन, दीपू और न जाने उन्होने कितने नाम गिना दिये जिनमें से कुछ को मै जानती थी कुछ को नही.पर मुझे पता यह सब पडोस और रिश्तेदारी के थे..
 काश मेरे भी मामा होते...!!!!
 सुबह नाना जी मेरे पास अाये और बोले बैठक में आओ देखो हम तुम्हारे लिए क्या लाये है ..क्या जाओ देखों मै भाग कर गयी देखा बैठक में एक सुंदर शनील की रजाई रखी थी मसहरी पर .. वाह !! कितनी सुंदर है कितनी मुलायम..है और कितनी गर्म है .
 वापस नानी के कमरे में गयी तो नाना नानी से कह रहे थे कल एक जजमान ने दी  , उन्ही के यहां सत्यनारायण भगवान की कथा करने गया था.मुझे पूरा पक्का विश्वास हो गया ,  कमल, शंख ,चक्र और गदा धारी  जिनका चित्र पूजा घर नें है वो ही मेेरेे मामा है जिन्होनें  मुझेे और नानी को यह उपहार दिया.

Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

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