Monday, October 23, 2017

तुम्हारे लिए

तुम्हारे लिए

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'गुडिया की मम्मी, जल्दी आओ... सारी की सारी चली  गयी एक तुम्ही हो जो हमेशा देर करती हो '...जाने दो उनके पास मेरे जितना काम नही है |
बैठी रहो यही , मै तो चली !
सजधज के मोहल्ले की औरते करवाचौथ की पूजा , कथा के लिए मुखियाइन के घर जाती है | पतियों की आमदनी इतनी नही है पर न जाने करवाचौथ के लिए नये गहने कपडे कहां से ले आती है | गुडिया की माँ तैयार होते होते सोच रही थी कितने साल यूं ही बीत गये इस बरस भी एक साडी नही ले पायी अपने लिए , सारी आयेगी , बन ठन के उसके जी को जलायेगी |
क्या पहनु , कुछ समझ नही आ रहा ...घर का काम करते करते  पूरा दिन निकल गया , चूडी ,बिंदी, कंगन सब है पर साडी पुरानी  | सब की जरूरते पूरी करते करते अपने लिए कटौती करना उसकी आदत थी |
मै चुप था गुडिया माँ ,  मेरी पत्नी उसे मै देख रहा था , गुडिया हँस रही थी , तभी आवाज आयी , गुडिया मम्मी है... हां जरा बुला दो तो | माँ आँटी आयी है , कौन ..आकर देखो न ! जी कहिए मैने पहचाना नही यह लीजिए , आपके कपडे सब तैयार कर दिया है | मेरे कपडे पर मैने कब ?? लिए ??.. यह भाई साहब दे गये थे , ब्लाऊज ,साडी सब तैयार कर दी है मैने , मेरा बिल दे दो मुझे देर हो रही है |
नेहा मेरी ओर देख रही थी ..'हां , मैने ही दिए थे  | यह लीजिए....
' आप ले आयी मै अभी लेने आने ही वाला था |'
...
लो...इसे पहन लो तुम्हे पूजा के लिए जाना है ... नेहा ज्यादा तो नही..' बस यही कर पाया मै करवाचौथ पर  तुम्हारे लिए |


सुनीता शर्मा खत्री
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2 comments:

  1. बार-त्यौहार में सबको ख़ुशी मिले यही तो उद्देश्य होता है

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद |

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Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

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