कभी-कभी जिन्दगी से भाग कर कुछ पल चुरा कर सोचते है जब कभी हम किस राह पर आ खडी है जिन्दगी न वापसी का रास्ता है न कोई डगर जहां सकूंन के दो पल मिलते तब मन अकारण ही घबराता है । तन्हा खडी जिन्दगी किस की राह तकती है फिर होता है वैराग्य झूठ है हर बन्धन, माया, मोह है। क्या अपना है क्या पराया है बस इसी सोच में उम्र निकलती है साथ ही गुजर जाता है वह वक्त जो अभी तक व्यतीत हुआ अब लगता है व्यर्थ है वह जीवन जो गुजरे प्रभु बिन क्यों अन्धकार में रास्ता खोजा क्यों नही प्रभु की शरण ली एक वही तो अपना है सब उसके हाथों में ही है वह सर्वशक्तिमान है कभी संदेह हो उसकी सत्ता पर तो वह किसी न किसी रूप में खुद से परिचय करा ही देगा तब यह ही लगेगा क्यो इतना जीवन व्यर्थ गवाया उसे क्यों न सहारा माना । तुच्छ वस्तुओ में समय गवाया । आह ! ! अब कितनी शान्ति है शायद यह भी उसकी ही मरजी हो क्योकि पहले उसका ध्यान करते तो मन मृगतृष्णा में भीषण भटकता अब सब कुछ साफ कुछ भी उसकी राह से डिगा पायेगा क्योकि ईशवर जो मुझमें बसा है उसे पहचान पाना अपने वश में नही सब उसकी इच्छा पर है हम सिर्फ मूकदर्शक है इस संसार रूपी फिल्म के दर्शक मात्र ।
जिन्दगी के उतार चढाव में झांकने की एक कोशिश का नाम है जीवन धारा। बह रहे है इस धार में या मंझधार में कौन जाने?
Thursday, March 10, 2011
Subscribe to:
Posts (Atom)
Sunita Sharma Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...
life's stories
-
: "ऋषिकेश के प्राचीन पौराणिक मंदिर ऐतिहासिक युग का प्रतिनिधित्व करते है इसी में रघुनाथ मंदिर भी है गंगा के करीब पर आपने पूर्व..."...
-
g anga ke Kareeb: श्रद्वालुओं की सिद्वियों का केन्द्र...........भैरव मंदिर ऋषिकेश for more plz visit blog Ganga ke Kareeb here is the ...
-
fyo& bu&fjys’kuf’ki ----ftUnxh ;k ekSr----\ written by Sunita Sharma freelanc...