Wednesday, June 5, 2013

तुम मेरे हों ..........!....part 1

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मन करता है आँखों में एक संसार बसा ले हाथो में हाथ ले ,पतझड़ के मौसम में इन संकरी  रहो में हम  साथ  साथ गुजर  जाये . मुझ तक जो पहुचती है इन मासूम आवाजो को में कैसे साज दू . घुटन भरी यादो से में कैसे खुद को आजाद करू , कैनवास पर तस्वीर बनाते बनाते हाथो में रोक लगी ......होंले से गीत गूंजने लगा कानो में पीछे मुड़ कर देखा तो कोई न था हैरानी थी . तस्वीरों के रंग बिगडने लगे और कैनवास पर बना साज बेसुरा सा गीत गाने लगा कमरे की दीवारों पर लगी कुछ तस्वीरे चीख कर डरानी लगी l 
....थोड़ी देर बाद यह जादुई गीत  कहाँ से आ गया खिडकी खोलकर देखी तो नीचे गहरी खाईया थी. फिर दिल डर कर जोर से धडकने लगा ...जादुई गीत समोहित कर रहा था मुझे अपनी और खीच रहा था एक बार फिर खुद को  अकेला पाया खवाब टूट गया  .
......कालबेल की आवाज से तन्द्रा भंग सी हों गयी यह खवाब था गहरी नींद से जाग गयी थी 
बाहर बारिश हों रही थी . सुबह- सुबह कौन आ गया ?
दीदी जी ..विवेक जी आये है ठीक है उन्हें बैठने को कहो में आती हूँ . मन अनमना सा होने लगा क्यों लोग मेरी तन्हाईयो को छीनने आ जाते है .
धीरे धीरे मौसम खुलने लगा और बाहर की धुप छन कर अन्दर आने लगी शायद कमरे में फैली सीलन को समेटना चाहती हों .
विवेक की मासूमियत पर तरस आता है यह क्यों उसके पीछे भाग रहा है जो उसे कभी नहीं मिल सकती . तुमसे बात करनी है वह बोला अभी में व्यस्त हू मैने उसको टालने की कोशिस की मुझे आफिस के लिए देर हों रही है किसी और दिन ......
वह चला गया मुझे पता था वो क्या कहेगा क्यों  मम्मी पापा ने इसे मेरे पीछे क्यों लगा दिया जब मै अपने जख्मो में खुश हूँ .क्यों मरहम लगाते है लोग उनके संवेदनाये ,प्यार मेरे आस पास लिपटे खोल को नहीं खोल सकते ...life is always being a  big play and its a drama for me..... .......to be continue... next part very soon.

3 comments:

  1. वह चला गया मुझे पता था वो क्या कहेगा क्यों मम्मी पापा ने इसे मेरे पीछे क्यों लगा दिया जब मै अपने जख्मो में खुश हूँ .क्यों मरहम लगाते है लोग उनके संवेदनाये ,प्यार मेरे आस पास लिपटे खोल को नहीं खोल सकते /
    Bahut hee achcheerachana. badhai.

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  2. वह चला गया मुझे पता था वो क्या कहेगा क्यों मम्मी पापा ने इसे मेरे पीछे क्यों लगा दिया जब मै अपने जख्मो में खुश हूँ .क्यों मरहम लगाते है लोग उनके संवेदनाये ,प्यार मेरे आस पास लिपटे खोल को नहीं खोल सकते /
    Bahut hee achcheerachana. badhai.

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Sunita Sharma  Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...

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