Saturday, May 12, 2012

मां.......................!






एक सुखद अहसास है मां का शब्द
गहरी पीडा में मुक्ति का बोध
थकान में आराम 
जन्नत है उसकी गोद
हर शब्द कम पड
जायेगा मै क्या लिखुं
मां का आंचल
उसका प्यार, उसकी नाजूक 
उंगलियों का स्पर्श 
बालों में फेरना,
उसके ऎसा करते ही गहरी
नींद, बस गहरी नीद बस सकुन................!

8 comments:

  1. बहुत भावपूर्ण सुखद अहसास...

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  2. बहुत ही प्यारी मासूम सी रचना ! बहुत सुन्दर !

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  3. माँ ने जिन पर कर दिया, जीवन को आहूत
    कितनी माँ के भाग में , आये श्रवण सपूत
    आये श्रवण सपूत , भरे क्यों वृद्धाश्रम हैं
    एक दिवस माँ को अर्पित क्या यही धरम है
    माँ से ज्यादा क्या दे डाला है दुनियाँ ने
    इसी दिवस के लिये तुझे क्या पाला माँ ने ?

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  4. नींद, बस गहरी नीद बस सकुन................!

    सुंदर एहसास. बेहतरीन प्रस्तुति.

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  5. बहुत दिनों बाद लिखा है .
    सुन्दर अहसास के साथ .

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  6. आप सभी का आभार अपना समय दिया व इतनी अच्छी टिप्पणियां की ।

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  7. बहुत सुन्दर अहसास...

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