जिन्दगी के उतार चढाव में झांकने की एक कोशिश का नाम है जीवन धारा। बह रहे है इस धार में या मंझधार में कौन जाने?
Thursday, February 10, 2011
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Sunita Sharma Khatri : कितनी ही कहानियां हमारे जीवन के चँहु ओर बिखरी रहती हैं कुछ भुला दी जाती है कुछ लिखी जाती हैं. हर दिन सवेरा होता है, ...
life's stories
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मां.......................! एक सुखद अहसास है मां का शब्द गहरी पीडा में मुक्ति का बोध थकान में आराम जन्नत है उसकी गोद हर शब्द कम ...
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Ganga ke Kareeb: तीर्थ नगरी की विवशता................! : जैसे -जैसे गर्मी से पारा बढता जा रहा है वैसे वैसे तीर्थ नगरी की मुशकिलें भी बढती ज...
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जीवन में भरे खुशियों के रंग खेले होली सब संग, रिश्तों में बनाये गुझिंया की मिठास करे बस नयी शुरूवात भुलाये दुशमनी का भाव रखे ...
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कभी-कभी जिन्दगी से भाग कर कुछ पल चुरा कर सोचते है जब कभी हम किस राह पर आ खडी है जिन्दगी न वापसी का रास्ता है न कोई डगर जहां सकूंन के दो पल म...
आदरणीय सुनीता शर्मा जी
ReplyDeleteआपका ब्लॉग इतिहास और वर्तमान का जीवंत दस्तावेज है ...आपका आभार
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .
मैं 2004.से 2007 तक देहरादून में पोस्टेड रहा हूँ.उस दौरान हृषिकेश कई बार गया. वहां गंगा के किनारे मंदिरों के पास मन को बहुत शांति मिलती है. आपकी पोस्ट देख कर वहां की याद आ गई.
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